Thursday, May 23, 2024

बुद्ध पूर्णिमा।

 बुद्ध पूर्णिमा। 


बुद्ध का जन्म, बोध और मृत्यु इसी वैशाख पूर्णिमा पर हुआ था। उन्होंने अपना पहला बोध पाँच शिष्यों को सारनाथ में दिया था तब थी गुरू पूर्णिमा- आषाढ़ पूर्णिमा। बुद्ध बोध के पश्चात ४९ दिन बोध गया में रहे थे और फिर ११ दिन सासाराम के रास्ते चलकर २५० किमी दूर सारनाथ पहुँचे थे। 

बुध के चेहरे की शांति अलौकिक तेज देखकर रास्ते में एक बालक ने पूछ लिया। क्या आप भगवान हो? बुद्ध ने कहा नहीं। क्या आप देवदूत हो? बुद्ध ने कहा नहीं। क्या आप मनुष्य हो? बुद्ध ने कहा नहीं। फिर आप क्या हो। मैं बुद्ध (बुध) हूँ। जागा हुआ। बुद्ध ने जवाब दिया और चल दिए। बोध वह चैतन्य पट है जिस पर सब कुछ उभरता है और मिट जाता है। बोध का पट ज्यों का त्यों निश्चल बना रहता है। 

बुद्ध को इतिहास शाक्य मुनि के नाम से भी जानता है। कोई कोई उन्हें शक जाति के महात्मा के रूप में देखते है। लेकिन असोक के minor edict Maski (Karnataka) को पढ़े तो वहाँ असोक अपने लिए 2.5 years passed since he became बोध शाक्य दर्शाता है। शाक्य का अर्थ यहाँ हुआ शिष्य। समण (गुरू) -शिष्य परंपरा का भारतीय प्राचीन धर्म यहाँ उजागर होता है। सीख धर्म का सीख शिष्य का ही पर्याय है। 

असोक के उत्तर पश्चिम के शिलालेख खरोष्ठी में है जब कि बाकी सारे धम्म लिपि (प्राचीन ब्राह्मी) में है। ईरान के शासक (Achaemenid Empire) ईसा पूर्व छठी शताब्दी में सिंधु घाटी तक राज्य करते थे इसलिए इस प्रदेश में प्रचलित लिपि थी जो right to left लिखी जाती थी। जबकि भारत वर्ष (पूर्व) की लिपि left to right लिखी जाती थी। 

यहाँ के लोगों ने पश्चिम की लिपि को नाम दिया खरोष्ठी क्यों कि उसके वर्ण कुछ मरोड़ लेकर लिखे जाते थे जैसे की गधे काँ ओठ, खरोष्ठ। 😁

भारत में ध्यान की परंपरा, मुद्राएँ, सम्यक् बोध, art of living, बुद्ध की देन है। दुःख है। दुःख का कारण है तृष्णा। तृष्णा के त्याग से निर्वाण होगा। लेकिन इसके लिए अष्टांग सम्यक् मार्ग पर चलना होगा। 
सम्यक् दृष्टि। 
सम्यक् संकल्प।
सम्यक् वाक्। 
सम्यक् कर्म। 
सम्यक् जीविका। 
सम्यक् व्यायाम। 
सम्यक् स्मृति।
सम्यक् समाधि। 

आज बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर इस विश्व गुरू को नमन। 

🕉️ मणि पद्मे हम। सोहम। 

🙏🙏🙏

पूनमचंद 
२३ मई २०२४

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