Monday, March 27, 2023

विचार।

  विचार। 


“विचार बड़ा सार है, उसका रूपया एक हज़ार है”। मेरी माँ हमें सुभाषित के ज़रिए जीवन शिक्षा का पाठ पढ़ाती थी। एक विचार ही है जो हमें दुर्जन या सज्जन बनाता है। उच्च विचार ऊर्ध्व गति करायेंगे और निम्न विचार अधोगति। 


सृष्टि का सृजन, पालन -संवर्धन और संहार एक विचार ही है। “एकोहम बहुस्याम” विचार पर ही तो यह दुनिया क़ायम है। द्वैतवाद, अद्वैतवाद, द्वैताद्वैत, विशिष्टाद्वैत, ईश्वरवाद, ना ईश्वरवाद, इत्यादि विचार ही है जिसपर कई धर्म और संप्रदाय टिके है।


अर्थनीति भी विचार से चलती है। पूंजीवाद हो या साम्यवाद या कोई अन्यवाद, विचार ही तो है। चाहे दायाँ कहो, बायाँ कहो, मध्य कहो, दायाँ मध्य, मध्य दायाँ, बायाँ मध्य, मध्य बायाँ, जो भी नाम दे दो, है तो विचार ही। 


हिन्दुओं की वर्ण और जाति व्यवस्था एक विचार का ही परिणाम है। लोगों ने मान लिया इसलिए चलता रहा। 


यह राजनीति क्या है? एक विचार ही तो है। जिसने अपना विचार जितने ज़ोर से, संसाधन जुटाकर ज़्यादा प्रसारित किया उसका राज चलता है। हिटलर का उदय भी विचार से हुआ और अस्त भी विचार से। 


जैसे लोहा लोहे को काटता है ऐसे ही यह भी सच है कि विचार की काट विचार ही है। एक को नष्ट करने दूसरा विचार चाहिए। जिसको नष्ट करना है उसकी बुराई करते रहना है और जिसको आगे करना है उसकी वाहवाही। जिस जहाज़ पर चढ़ गये बस वही के बन गये, वही बन गये। 


बस एक ही बात प्रमुख है। स्वातंत्र्य। यह हमारा स्वातंत्र्य है कि हम किस विचार जहाज़ में चढ़े जिसमें हमारी भलाई है और दूसरों की भी भलाई। विचार ही हमारी आध्यात्मिक, आर्थिक, सामाजिक, राजकीय आज़ादी का सूत्रधार है। 


विचार से ही हमारा बंधन है और विचार से ही मुक्ति।


इसलिए स्वतंत्र बनो। स्वस्थ विचारवान बनो। 


स्वतंत्रता में स्वस्थता और स्वस्थता में स्वतंत्रता। 


पूनमचंद 

२७ मार्च २०२३

1 comment:

Powered by Blogger.