Tuesday, May 13, 2025

सिंधु दरिया।

तिब्बत-चीन के कैलाश क्षेत्र के राकस ताल और मान सरोवर के नज़दीक स्थित बोखर चू हिम शिखर से निकलकर लेह-लद्दाख से हिंदुस्तान में प्रवेश कर उत्तर-पश्चिम की ओर PAK के गिलगित बाल्टिस्तान होकर नंगा पर्वत से बायीं मुड दक्षिण पश्चिम में पाकिस्तान में बहती हुई कराची नज़दीक अरबी समुद्र में मिल जाती है। पहले कभी वह कराची से पूर्व कच्छ के रण में समाप्त होती थी। 3610 किलोमीटर लंबी इस नदी तिब्बत-चीन से भारत में होकर पाकिस्तान में बहती है। सिंधु नदी उद्गम स्थल पर सिंह की दहाड़ जैसी आवाज करती है इसलिए इसे जन्म स्थान पर सेंघी कानबाब (lion’s mouth) कहते है। सेंघी-सिंघ ही अपभ्रंश होकर सिंधु बना है। सिंधु को भारत से देखना हो तो लेह-लद्दाख जाना पड़ेगा। सोनमर्ग के पास जो नदी बहती है वह सिंधु नहीं अपितु सिंद हैं जो झेलम की सहायक नदी है और शादीपोरा में जाकर उसे मिल जाती है। भारत में नदी को स्त्री लिंग और पाकिस्तान में इसे पुलिंग दरिया कहते है। सिंधु नदी को दाहिनी तरफ से और बायीं तरफ से सहायक नदियाँ मिलती हैं और उसकी जलराशि बढ़ाती है। सिंधु को दाहिनी तरफ से मिलनेवाली नदियों में श्योक, गिलगित, बुंदा, स्वात, कुन्नार, कुर्रम, गोमल, टोची, और काबुल है। बायीं तरफ से मिलनेवाली सहायक नदियाँ जास्कर, सुरू, सुन, झेलम, चिनाब, रावी, ब्यास, सतलुज है। दो नदियों के बीच स्थित और संगम तक पहुँचनेवाला भूमि क्षेत्र दोआब है। यह क्षेत्र नदियों के गाद की वजह से उपजाऊ कृषि क्षेत्र होने से इसका आर्थिक, राजकीय, सांस्कृतिक महत्त्व होने से यह प्रदेश ऐतिहासिक है। सिंधु और उसकी पाँच सहायक नदियों (झेलम, चिनाब, रावी, ब्यास, सतलुज) से बने पाँच दोआब से बने भूमि क्षेत्र को पंजाब कहते है। झेलम कश्मीर के अनंतनाग ज़िले के वेरीनाग झरने से निकलकर चिनाब को ट्रिम्मु (पाकिस्तान) में मिल जाती है। रावी हिमाचल के कांगड़ा जिले के बड़ा भंगाल से निकलकर चिनाब को अहमदपुर स्याल (पाकिस्तान) में मिलती है। चिनाब हिमालय प्रदेश में चंद्रताल से चंद्रा और सूर्यताल से भागा नाम से निकलती है और लाहौल स्पीति जिले के तंडी में मिलकर चिनाब बन जाती है। ब्यास हिमालय के रोहतांग दर्रे से निकलती है और हरिके (भारत) जाकर सतलुज को मिलती है।सतलुज पंचनद (पाकिस्तान) जाकर चिनाब में मिल जाती है। चिनाब पाँचों नदियों का जल लेकर मिठानकोट (पाकिस्तान) में जाकर सिंधु से मिल जाती है। सिंधु और झेलम के बीच का दोआब सिंघ सागर, झेलम और चिनाब के बीच का चाज दोआब, चिनाब और रावी कि बीच का रेचना-रचना दोआब, रावी और ब्यास के बीच का बारी दोआब और ब्यास और सतलुज के बीच का बिस्त दोआब प्रसिद्ध है। दोआब बाँधनेवाली नदियों के नाम के पहले अक्षर को जोड़ यह नाम पड़े है। वेदकाल का सप्तसिंधु प्रदेश मुगलकाल में राजा टोडरमल से पंजाब होकर प्रसिद्धि पाया है। इस क्षेत्र के कईं परिवारों नें अपने भूमिक्षेत्र की पहचान अपने उपनाम-कुलनाम में बनाए रखी है। सिंधु उद्गम स्थान पर सिंह जैसी गर्जना करके चलती है इसलिए इसे सिंघी (सिंह-सिंघ) कहते हैं जिससे इस प्रदेशके लोगों नें आगे चलकर अपने आप को सिंघी या सिंह उपनाम से पहचान दी थी। सिंधु का जल जिसने पीया हो वह सिंह जैसी गर्जना तो ज़रूर करेगा। वेदों में इस छह नदियों के नाम क्रमशः सिंधु, विवस्ता (झेलम), असिक्नी (चिनाब), पारूष्णी (रावी), विपास (ब्यास), सतुद्री (सतलुज), और एक अगोचर हुई सातवीं नदी सरस्वती है। क्या वह सातवीं नदी सिंधु को मिल रही दाहिनी सहायक नदी श्योक, स्वात अथवा काबुल नदी तो नहीं? अथवा मरुस्थलीय राजस्थान-गुजरात में लुप्त हुई घग्गर-हकरा। इसी पंजाब की भूमि पर पारुष्णी (रावी) के किनारे भारत ट्राइब के सुदास राजा का दस राजाओं का युद्ध (दशराज्ञ युद्ध) हुआ था जिसमें सुदास जीते थे। वे दस राजा थेः पुरू, यदु, तुर्वसु, अनु, द्रुह्यु, अलीना, पक्था, भलानस, शिव और विषाणिन। इसी पारुष्णी (रावी) किनारे कांग्रेस ने पूर्ण स्वराज की घोषणा की थी और इसी रावी के किनारे मुस्लिम लीग ने अलग पाकिस्तान माँगा था। इसी पंजाब से सनातन धर्म की अपौरुषेय श्रुति वेदों की रचना हुई थी। इसी पंजाब के किनारों पर देव भाषा संस्कृत का जन्म हुआ था। इसी पंजाब के पोरस ने अलेक्जेंडर को ललकारा था। इसी पंजाब में बौद्ध धर्म का विस्तार हुआ था, कश्मीर शैविजम ने अपनी जड़ें जमाई थी और इसी पंजाब में इस्लाम ने मुहब्बत और भाईचारे का पैग़ाम देकर आवाम को मुसलमान बनाया था। शून्य, परम और एक अल्लाह के त्रिवेणी दर्शन का यह संगम स्थान है। इसी पंजाब से महाराजा रणजीत सिंह ने काबुल तक अपना ध्वज लहराया था और इसी पंजाब से अंग्रेज़ों से समझौता कर सीख आर्मी जनरल गुलाब सिंह नें कश्मीर को ख़रीदा था। उर्वर ज़मीन की वजह से पंजाब क्षेत्र सदियों से भारत और पाकिस्तान प्रदेश के फुड बास्केट का काम करता है। अंग्रेज़ों ने आकर यहां बाँध और नहर सिंचाई का प्रारम्भ कर इस क्षेत्र का आर्थिक और राजनीतिक महत्त्व बढ़ाया था। आज इसी सिंधु के जल के बंटवारे में फिर भारत पाकिस्तान में तनातनी है। सिंधु नदी का जल संपत्ति वार्षिक अंदाज़ा 182 क्यूबिक किलोमीटर है जिसमें सिंधु, झेलम और चिनाब मुख्य धारा का 170 क्यूबिक किलोमीटर अंदाज़ा गया है। विश्व बैंक की मध्यस्थता में 1960 के समझौते से सिंधु जलराशि का 80% पाकिस्तान को और 20% भारत को मिलता है। पूर्वीय रावी, ब्यास और सतलुज पर भारत का और पश्चिमी सिंधु, झेलम और चिनाब पर पाकिस्तान का अधिकार माना गया है। पाकिस्तान आतंकवाद को पनाह देगा तो भारत अंदाज़ा 9.3 बिलियन क्यूबिक मीटर पानी जो अपनी भूमि से पाकिस्तान की और बहने दे रहा है उसे बंद करने आगे बढ़ सकता है। पूनमचंद १३ मई २०२५ NB: पाकिस्तान कहेगा हमारे पास सिंधु है। हम कहेंगे हमारे पास गंगा, यमुना, ब्रह्मपुत्रा, महा, नर्मदा, गोदावरी, कृष्णा, कावेरी इत्यादि.. कुछ कम नहीं।

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