Sunday, November 21, 2021

सप्तपुरी

 सप्तपुरी भीतर जानो, अपने को खूब पहचानो; 

चक्र चक्र पार चलो, सहस्रार में आसन जमाओ। 


बुंद बुंद अमृत छलके, पीया उसमें मस्ती छलके। 

भैरव संग भैरवी नाचे, बजा डमरू तांडव ताड़े। 


सकल से आगे चल, सप्तपुरी को पार कर;

शिवपुरी में गड़ा त्रिशूल, कर लीला तु अपने सूर। 


पूनमचंद 

१४ सितंबर २०२१

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