Sunday, November 21, 2021

मातृका प्रवेश

मातृका प्रवेश। 


ज्यों न्यग्रोध बीज वटवृक्ष पसारा; 

वाक् विश्व फैल, माटी प्रकाशा। 


अ कार से स कार चराचर संसार;

परम परा का ह्रदय बीज विस्तार। 


३१ सकार ३ अकार, वर्ण मातृका संसार;

शिव शक्ति का सच्चिदानंद पसार। 


अ कार से आरूढ हुआ, ह कार भेद सृष्टि फैलाया। 

परम शिव में उदय हुआ, परम शिव विश्रांत हुआ।  


ह्रदय प्राण ब्रह्मरंध्र मिला, परावाक संधान कर;

घटीयंत्र सम भर ले अरघट, सरण रस अमृत पान कर।     


जप ले मंत्र छांदस, बिना गति लय ताल विग्रह ; 

त्रि अंड अनुसंधान कर, अनुत्तर परा प्रवेश कर। 


सद् अंश मिले चिद् अंश से, चिद् अंश माोद मांय;

मोद निरंशे विलुप्त हुए, परम शिव प्रकट थाय।  


पूनमचंद 

२३ सितंबर २०२१

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