Tuesday, May 10, 2022

छोटी i से बड़ी I

 यात्रा छोटी कदम बड़ा। 

i से I तक। 


सामान सब भरा पड़ा है, बस राजयोग से काम लेना है। 


छोटी ‘मैं’ से बड़ी ‘मैं’ मे दाख़िला लेना है। 


चिति चित्त बनी, अब चित्त से चिति। 


प्राण के ‘मध्य का विकास’ करना है। 


सब दुखों का बीज मन, भक्ति रस में डुबोकर उसी से नि:शेष मोक्ष पद पाना है। 


क्रिया भक्ति और ज्ञान का संगम। 


पूनमचंद 

१३ अप्रैल २०२२

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