Tuesday, May 10, 2022

Shivanand

 शिवानंद। 


ये पृथ्वी सूरज चाँद सितारे, साक्षात वांग्मय शिव नर्तन।नाचे गायें झूमे संग, शिव को कर जोड़ी नमन। 


चिति बनी है चित्त, जुड़ जा अपने स्रोत के संग; शुद्धि क्रिडा में प्रवृत हो, कर लें नर्तन पा आनंद। मेघ गर्जन संग मोर नाचे, शिवानंद पंखों पर थिरके; भावाभिनय पहचान, मयूर नहीं शिव स्पन्द निहार।


यह सृष्टि शिवशक्ति का नर्तन, लास्य और उद्धार तांडव। जीवनरस आनंदगामी, भरित रहे नित्य नवीन उन्मेष।उन्मेष निमेष अविरत चलता, अणु परमाणु शिवरस भरता; सब है शिवत्व सब कुछ उसका नर्तन।ब्रह्मा विष्णु महेश उसके छींटे, ऐश्वर्य उसका अनमोल। वही आत्मा स्वरूप तुम्हारा, है मानव क्यूँ गँवाये नूर?


आनंदवाद शिवसूत्र है, नहीं दुख घोर निराशा; शिवानंद भरपूर पी लें अमृत बेला सही अवसर। 


सब मानुष आनंद पिपासा, कोई संकुचित कोई लोकानंदा। इधर उधर भटके सब, कुंजी हाथ लगे न कोई। 


कौन नहीं जानता मैं हूँ, आत्मा है प्रकट प्रमाण; मन में है पर प्रकट नहीं, आनंद उदधि अदृश्य।  मोहावरण सिद्धि लावे, डॉक्टर इंजिनियर धंधा लावे; छोटी सिद्धि झंझट बहु, भीतर के शिवानंद से दूर। 


योगी तंत्र कुंडलिनी आवरण हटावे, मूलाधार से चक्र जगावे। सुषुम्ना पथ पर चढे शिवसदन संधान करे। 

हर चक्र कमल पंखुड़ी लाधे; रूक गया वह बीच भटके।सावध साधक रहे चकोर, शिवभवन जाकर अटके। शिवभवन प्रकाश भरपूर, कुंडलिनी तेज लिए घर लौट। योगी स्थिति बड़ी अद्भुत शिवभवन करे निवास। 


परम शिव भीतर बैठा, गुरू उपाय से आवरण हटा; सहज विद्या जय कर, अनंत अनुभव इसी क्षण कर। 

आनंद का कर पसार, सारा विश्व अपना कर। अहंता का कर विस्तार, इदंता अपने में भर। अगस्त्य उपाय सूर्य मंत्र साधे, राम ने सेतु बांधा। गुरू मंत्र अग्नि सेतु कर, नित्य निरंतर कर शिव संधान। 


यह विश्व शिव थियेटर, बिना मल हटाये कैसे चल? क्रिया ज्ञान भक्ति सामंजस्य कर, शिवत्व का अनुभव कर। भैरवनाथ को जो भी मिलता, सुसंस्कृत होकर चलता। इन्द्रिय वीणा के तार तनता, भीतर सुदर्शन करता।अपने साधन पवित्र कर, शिवता का आरोहण करता।बाह्य अग्नि से प्रेरित हो, भीतर अग्नि को प्रज्वलित करता। चिदैक्य से मग्न हुआ तब कोटि सूरज चाँद अनुभव करता। 


तुम्हीं हो भैरव आनंद सागर, तुम्हारा सौंदर्य अति दुर्लभ। आत्मा को आत्म स्वरूप पहचान, मोहावरण से मुक्त हो जय। 


ये पृथ्वी सूरज चंद्र नक्षत्र तारे, साक्षात वांग्मय शिव नर्तन।नाचे गायें झूमे आज, शिव को कर जोड़ी नमन।


पूनमचंद 

१७ अप्रैल २०२२

0 comments:

Post a Comment

Powered by Blogger.