छठ पूजा।
यह दुनिया धनात्मक-ऋणात्मक आवेशों की जोड़ है। हम कुछ भी हो लेकिन है तो उस सूर्य के तरल घटक (plasma) के अंश। उसकी पूजा कर कुछ अपने अंदर निहित ऊर्जा का पुनर्भरण कर ले। बस इतनी सी ही तो बात है। लेकिन बड़ी बात है। छठ पूजा सूर्य पूजा का एक सुंदर प्रतीक है।
गौतम बुद्ध की माँ का देहांत बुद्ध के जन्म के छठवें दिन हुआ था। इसलिए बौद्ध लोग इसे माया देवी की पूजा के स्वरूप में मनाते है।
हर हिंदू कुटुंब में बच्चा पैदा होता है तब ऐसा माना जाता है कि छठ की रात को विधाता उसके जीवन का लेख लिखती है। अर्थात पुराने जमाने में बच्चे पैदा होते ही छह दिन के भीतर मर जानेकी संख्या ज्यादा होगी। अपने शिशुओं की सुरक्षा के लिए भी यह पर्व महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
महिलाओं के लिए घर ही सर्वस्व होता है और घर में भरमार। बिना पति का जीवन पहले अत्यंत कठिन था। इसलिए सौभाग्य रक्षा के लिए यह पर्व मनाया जाता है।
हिन्दुस्तान दिल से ज्यादा और दिमाग से कम जीता है। लेकिन उसके दिल को खोल के देखो तो दिमाग़ ही नज़र आएगा।
२७ अक्टूबर २०२५
छठ, कार्तिक शुक्लपक्ष २०८२
0 comments:
Post a Comment